राम चालीसा PDF | Ram Chalisa PDF Free In Hindi

आज हम आपके लिए Ram Chalisa PDF लेके आये है जिसकी मदत से आप भगवान श्री राम जी को आसानी से प्रसन कर सकते है भगवान सीयापति राम जी को कौन नही प्रसन करना चाहता है Ram Chalisa PDF को सबसे अधिक प्रभावशाली भक्ति गीत माना गया है या संपूर्ण भगवान श्री राम जी को समर्पित है तथा हिंदू धर्म में Ram Chalisa PDF को सबसे ऊंचा दर्जा दिया गया है बहुत सारे लोग श्री राम चालीसा को रोजाना पड़ते हैं और उन्हें इसका लाभ भी मिलता है क्योंकि Ram Chalisa PDF का नाम मात्र लेने से भगवान श्री राम उनसे प्रसन्न हो जाते है

यह भी पढ़े : ओम जय जगदीश हरे आरती PDF | Om Jai Jagdish Hare Aarti PDF Free Download

श्री रामचंद्र जी को मर्यादा पुरुषोत्तम माना गया है और इसके अलावा उनका राम राज्य में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है इसलिए Ram Chalisa PDF को पढने के दौरान आपको बहुत सावधानी रखनी पड़ती है इसमें आपको समस्त Ram Chalisa PDF की सहयता से पढ़ सकते है अगर आप हमारी इस Ram Chalisa PDF को डाउनलोड करना चाहते है तो आप Ram Chalisa PDF इस ब्लॉग निचे जाकर डाउनलोड कर सकते है

Ram Chalisa PDF Lyrics Free In Hindi

इस पाठ के चमत्कार से प्रभावित हो, बहुत से लोग Ram Chalisa PDF कर रहे है आप भी इससे डाउनलोड कर श्री राम जी का पाठ कर सकते है राम जी का जन्म अयोध्या नगरी में हुआ था वह राजा दशरथ जी की आज्ञा का पालन करने वाला महा पुरुषोत्तम श्री राम | श्री राम जी के माता जी का नाम कोशल्या था | भगवन राम के गुरु जी का नाम विशिष्ठ था तथा उनकी पत्नी माता सीता है | भगवान श्री राम को 14 वर्ष का वनवाश काटने की सजा मिली थी | जिसके बाद उन्होंने वहा रावण का वध किया श्रीराम जी के दो पुत्र लव और कुश है | भगवान श्री राम जी के सच्चे भगत श्री हनुमान जी है जो बुधि और बल के देवता है

चोपाई
श्री रघुवीर भक्त हितकारी।
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥
निशिदिन ध्यान धरै जो कोई।
ता सम भक्त और नहिं होई॥2॥

ध्यान धरे शिवजी मन माहीं।
ब्रह्म इन्द्र पार नहिं पाहीं॥
दूत तुम्हार वीर हनुमाना।
जासु प्रभाव तिहूं पुर जाना॥4॥

तब भुज दण्ड प्रचण्ड कृपाला।
रावण मारि सुरन प्रतिपाला॥
तुम अनाथ के नाथ गुंसाई।
दीनन के हो सदा सहाई॥6॥

ब्रह्मादिक तव पारन पावैं।
सदा ईश तुम्हरो यश गावैं॥
चारिउ वेद भरत हैं साखी।
तुम भक्तन की लज्जा राखीं॥8॥

गुण गावत शारद मन माहीं।
सुरपति ताको पार न पाहीं॥
नाम तुम्हार लेत जो कोई।
ता सम धन्य और नहिं होई॥10॥

राम नाम है अपरम्पारा।
चारिहु वेदन जाहि पुकारा॥
गणपति नाम तुम्हारो लीन्हो।
तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हो॥12॥

शेष रटत नित नाम तुम्हारा।
महि को भार शीश पर धारा॥
फूल समान रहत सो भारा।
पाव न कोऊ तुम्हरो पारा॥14॥

भरत नाम तुम्हरो उर धारो।
तासों कबहुं न रण में हारो॥
नाम शक्षुहन हृदय प्रकाशा।
सुमिरत होत शत्रु कर नाशा॥16॥

लखन तुम्हारे आज्ञाकारी।
सदा करत सन्तन रखवारी॥
ताते रण जीते नहिं कोई।
युद्घ जुरे यमहूं किन होई॥18॥

महालक्ष्मी धर अवतारा।
सब विधि करत पाप को छारा॥
सीता राम पुनीता गायो।
भुवनेश्वरी प्रभाव दिखायो॥20॥

घट सों प्रकट भई सो आई।
जाको देखत चन्द्र लजाई॥
सो तुमरे नित पांव पलोटत।
नवो निद्घि चरणन में लोटत॥22॥

सिद्घि अठारह मंगलकारी।
सो तुम पर जावै बलिहारी॥
औरहु जो अनेक प्रभुताई।
सो सीतापति तुमहिं बनाई॥24॥

इच्छा ते कोटिन संसारा।
रचत न लागत पल की बारा॥
जो तुम्हे चरणन चित लावै।
ताकी मुक्ति अवसि हो जावै॥26॥

जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरूपा।
नर्गुण ब्रह्म अखण्ड अनूपा॥
सत्य सत्य जय सत्यव्रत स्वामी।
सत्य सनातन अन्तर्यामी॥28॥

सत्य भजन तुम्हरो जो गावै।
सो निश्चय चारों फल पावै॥
सत्य शपथ गौरीपति कीन्हीं।
तुमने भक्तिहिं सब विधि दीन्हीं॥30॥

सुनहु राम तुम तात हमारे।
तुमहिं भरत कुल पूज्य प्रचारे॥
तुमहिं देव कुल देव हमारे।
तुम गुरु देव प्राण के प्यारे॥32॥

जो कुछ हो सो तुम ही राजा।
जय जय जय प्रभु राखो लाजा॥
राम आत्मा पोषण हारे।
जय जय दशरथ राज दुलारे॥34॥

ज्ञान हृदय दो ज्ञान स्वरूपा।
नमो नमो जय जगपति भूपा॥
धन्य धन्य तुम धन्य प्रतापा।
नाम तुम्हार हरत संतापा॥36॥

सत्य शुद्घ देवन मुख गाया।
बजी दुन्दुभी शंख बजाया॥
सत्य सत्य तुम सत्य सनातन।
तुम ही हो हमरे तन मन धन॥38॥

याको पाठ करे जो कोई।
ज्ञान प्रकट ताके उर होई॥
आवागमन मिटै तिहि केरा।
सत्य वचन माने शिर मेरा॥40॥

और आस मन में जो होई।
मनवांछित फल पावे सोई॥
तीनहुं काल ध्यान जो ल्यावै।
तुलसी दल अरु फूल चढ़ावै॥42॥

साग पत्र सो भोग लगावै।
सो नर सकल सिद्घता पावै॥
अन्त समय रघुबरपुर जाई।
जहां जन्म हरि भक्त कहाई॥44॥
श्री हरिदास कहै अरु गावै।
सो बैकुण्ठ धाम को पावै॥45॥

॥ दोहा॥
सात दिवस जो नेम कर, पाठ करे चित लाय।
हरिदास हरि कृपा से, अवसि भक्ति को पाय॥
राम चालीसा जो पढ़े, राम चरण चित लाय।
जो इच्छा मन में करै, सकल सिद्घ हो जाय॥

राम चालीसा मंत्र | Ram Chalisa

आप रोज सुबह उढ़ाकर श्री राम जी के इस मंत्र का जाप करने से आपके सभी दुःख दर्द दूर हो जायेंगे

रामाय नम:।
फट् राम फट्।
श्रीं राम श्रीं राम।
ह्रीं राम ह्रीं राम।
श्रीराम शरणं मम्।
श्रीरामचन्द्राय नम:।
क्लीं राम क्लीं राम।
ॐ राम ॐ राम ॐ राम।
ॐ रामाय हुं फट् स्वाहा।
‘श्रीराम, जयराम, जय-जय राम’।

Ram Chalisa PDF Free In Hindi

हमारे इस राम चालीसा PDF | Ram Chalisa PDF Free Download In Hindi को आप निचे दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करके आसानी से डाउनलोड कर सकते है

Conclusion 

हमारे इस राम चालीसा PDF | Ram Chalisa PDF Free In Hindi ब्लॉग को अपना कीमती समय देके पड़ने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद | उमीद है की आपको हमारा यह राम चालीसा PDF | Ram Chalisa PDF Free In Hindi जानकारीपूर्ण और मूल्यवान लगा होगा यदि आप हमारे इस राम चालीसा PDF | Ram Chalisa PDF Free In Hindi ब्लॉग से कोई भी प्रश्न या टिप्पणियाँ हैं, या आप इस विषय पर गहराई से विचार करना चाहते हैं, तो कृपया संकोच न करें। ओर हमें कमेंट करना न भूले

Leave a Comment