ओम जय जगदीश हरे आरती PDF | Om Jai Jagdish Hare Aarti PDF Free Download

आज हम आपको इस ब्लॉग Om Jai Jagdish Hare Aarti PDF लाये है जिसकी मदत से आप भी भगवान विष्णु को प्रशन कर सकते है यह Om Jai Jagdish Hare Aarti PDF दुनिया भर में बहुत ही प्रसिद्ध है यह ओम जय जगदीश हरे आरती को पं. श्रद्धाराम फिलौरी द्वारा सन् 1870 में लिखी गई थी। यह ओम जय जगदीश हरे आरती PDF भगवान विष्णु को प्रसन करती है फिर भी इस आरती को किसी भी पूजा, उत्सव पर गया जाता है कुछ भक्तों का मानना है कि इस आरती का मनन करने से सभी देवी-देवताओं की आरती का पुण्य मिलता है।

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अगर आप भी भगवान विष्णु को प्रसन और भगवान विष्णु की कृपा दर्ष्टि अपने ऊपर बना चाहते है जो आप Om Jai Jagdish Hare Aarti PDF की साहयता से भगवान विष्णु को प्रसन कर सकते है Om Jai Jagdish Hare Aarti PDF को आप निचे से डाउनलोड कर सकते है डाउनलोड करने के लिए आप इस ब्लॉग को अंत तक पढ़े

ओम जय जगदीश हरे आरती PDF

आप तो जानते ही होंगे की ओम जय जगदीश हरे आरती PDF बहुत ही शक्ति शाली लिखित आरती पीडीऍफ़ है ओम जय जगदीश हरे आरती लिखित में में देंगे जिससे आप पढ़ कर विष्णु भगवान से अपनी इच्छा अनुसार कुछ भी मांग सकते हो ओम जय जगदीश हरे आरती PDF को डाउनलोड करिए और भगवान विष्णु को प्रसन करिए

ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

जो ध्यावे फल पावे,
दुःख बिनसे मन का,
स्वामी दुःख बिनसे मन का ।
सुख सम्पति घर आवे,
सुख सम्पति घर आवे,
कष्ट मिटे तन का ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

मात पिता तुम मेरे,
शरण गहूं किसकी,
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी ।
तुम बिन और न दूजा,
तुम बिन और न दूजा,
आस करूं मैं जिसकी ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

तुम पूरण परमात्मा,
तुम अन्तर्यामी,
स्वामी तुम अन्तर्यामी ।
पारब्रह्म परमेश्वर,
पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सब के स्वामी ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

तुम करुणा के सागर,
तुम पालनकर्ता,
स्वामी तुम पालनकर्ता ।
मैं मूरख फलकामी,
मैं सेवक तुम स्वामी,
कृपा करो भर्ता॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

तुम हो एक अगोचर,
सबके प्राणपति,
स्वामी सबके प्राणपति ।
किस विधि मिलूं दयामय,
किस विधि मिलूं दयामय,
तुमको मैं कुमति ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

दीन-बन्धु दुःख-हर्ता,
ठाकुर तुम मेरे,
स्वामी रक्षक तुम मेरे ।
अपने हाथ उठाओ,
अपने शरण लगाओ,
द्वार पड़ा तेरे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

विषय-विकार मिटाओ,
पाप हरो देवा,
स्वमी पाप(कष्ट) हरो देवा ।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
सन्तन की सेवा ॥

ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥

Om Jai Jagdish Hare Aarti PDF Free Download

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Conclusion 

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