हनुमान अष्टक | Hanuman Ashtak PDF FREE DOWNLOAD

अभी हम आपको इस पोस्ट मैं Hanuman Ashtak PDF की फाइल देने वाले है डाउनलोड करने के लिए आप इस पोस्ट को पूरा पढना होंगा आप तो जानते है Hanuman Ashtak PDF बहोत अच्छी है अगर इस Hanuman Ashtak PDF को पदना चाहते है तो इस Hanuman Ashtak PDF को आपको डाउनलोड करना होंगा डाउनलोड करने के लिए इस पोस्ट के लास्ट मैं जाये.

Now we have provided the file of Hanuman Ashtak PDF in this post for you to download, if you read this post completely then you will know that Hanuman Ashtak PDF is very good. If you want to read this Hanuman Ashtak PDF then Download this Hanuman Ashtak PDF. You might want to check out the download at the end of this post.

यह भी देखे : चौपाई साहिब | Chaupai Sahib PDF Free

हनुमान अष्टक

हनुमान अष्टक | Hanuman Ashtak PDF

बाल समय रवि भक्षी लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारों। धूप दम घमण्ड अरु गर्मी, संतोष तें परे सियारो। हे नाथ यहि विधि रहा, रघुपति जानकी शोक भारी। ताते गए तव सुमिरन, तब रवि उषाकाल गये।


अर्थ:

बाल्यकाल में हनुमान ने सूर्य को फल समझकर खा लिया था, जिससे तीनों लोक अंधकारमय हो गए। धूप, दम, गर्मी और संतोष के कारण वे शांत हो गए। हे नाथ! यही विधि रही, जब रघुपति और सीता को बड़ा शोक हुआ। तब वे तुम्हारा सुमिरन करने गए, तभी रवि उषाकाल में चले गए।


जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए गुण खानी। जो गुणवान है तेहि को, भजिए निष्काम ह्रदय।


अर्थ:

साधु की जाति न पूछो, केवल उसके गुणों को देखो। जो गुणवान है, उसे निष्काम ह्रदय से भजो।


पूजा रामजी की करहुं, तुम हनुमान हो सहाय। लाए सियाजी के जूती, लंका में बनाई चिता।


अर्थ:

रामजी की पूजा करो, तुम हनुमान उनकी सहायता करो। तुमने ही सियाजी की जूती लाकर लंका में चिता बनाई थी।


लंका सो कोट समुद्र तें, आये अहिरावण डर। तुम दई लंका में लंका, यमदूतों को हरि।


अर्थ:

लंका के समुद्र से अहिरावण बहुत डर गया था। तुमने ही लंका में लंका बनाकर यमदूतों को हराया था।


बालि के घर जा कर तुम, द्वन्द मचाई महान। बलि की शक्ति पहचानी, तुरतहि मारि गिरावान।


अर्थ:

बालि के घर जाकर तुमने बड़ा द्वन्द किया था। बालि की शक्ति को पहचानकर तुमने उसे तुरंत मार गिराया था।


तुम बिन रामजी को लंका, कैसे जा पाते थे। लंका सो असुरों को, तुम ही मार भगाते थे।


अर्थ:

तुमके बिना रामजी लंका कैसे जा पाते थे? लंका के असुरों को तुम ही मार भगाते थे।


राम जी के काज करने, तुमने किए अनेक। प्रभु जी के साथ तुमने, लंकेश्वर भए अनेक।


अर्थ:

रामजी के काज करने के लिए तुमने अनेक लीलाएं की थीं। प्रभुजी के साथ तुम लंकेश्वर भी हुए थे।


अब भक्तजनों की रक्षा, करो हनुमान जी। जो कोई तुम्हारा नाम ले, सुख पावे निश्चय।


अर्थ:

अब भक्तजनों की रक्षा करो, हे हनुमानजी। जो कोई तुम्हारा नाम ले, वह निश्चय ही सुख पावे।


दोहा:

जय जय जय हनुमान गोसाईं, कृपा करहु गुरुदेव की। जन के काज सुगम कीजै, मनवांछित फल दीजै।

अर्थ:

जय जय जय हनुमान गोसाईं, कृपा करो गुरुदेव की। जन के काज सुगम कीजै, मनवांछित फल दीजै।


हनुमान अष्टक एक प्रसिद्ध भक्ति श्लोक है जो भगवान हनुमान की महिमा का वर्णन करता है। यह श्लोक भक्तों को भगवान हनुमान की कृपा पाने के लिए प्रेरित करता है।

Hanuman Ashtak PDF FREE DOWNLOAD

अभी आप यह से हनुमान अष्टक | Hanuman Ashtak PDF FREE DOWNLOAD कर सकते है डाउनलोड करने के लिए डाउनलोड कर क्लिक करे.

Now you can read Hanuman Ashtak from this. You can download Hanuman Ashtak PDF FREE, click on download to download.

Conclusion 

हमारे ब्लॉग को हनुमान अष्टक | Hanuman Ashtak PDF FREE DOWNLOAD पढ़ने के लिए समय निकालने के लिए धन्यवाद। हमें आशा है कि आपको यह हनुमान अष्टक | Hanuman Ashtak PDF FREE DOWNLOAD जानकारीपूर्ण और मूल्यवान लगा होगा। यदि आपके कोई प्रश्न, टिप्पणियाँ हैं, या आप इस विषय पर गहराई से विचार करना चाहते हैं, तो कृपया संकोच न करें। उल्लेख करें कि पाठक आपसे कैसे संपर्क कर सकते हैं या आपकी अधिक सामग्री का पता लगा सकते हैं।

Leave a Comment