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आदित्य हृदय स्तोत्र वाल्मीकि रामायण के युद्धकाण्ड में वर्णित एक स्तोत्र है। इस स्तोत्र में भगवान सूर्य की स्तुति की गई है। आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से मनुष्य को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं, जैसे:
- शत्रुओं पर विजय प्राप्ति
- मानसिक कष्टों से मुक्ति
- रोगों से मुक्ति
- धन-धान्य की प्राप्ति
- आयु की वृद्धि
आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने की विधि:
- सूर्योदय के समय उठकर स्नान आदि करके साफ-सुथरे वस्त्र पहनें।
- किसी पवित्र स्थान पर भगवान सूर्य की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- धूप, दीप, फूल, अक्षत आदि से भगवान सूर्य की पूजा करें।
- गायत्री मंत्र का जाप करें।
- आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
- पाठ के बाद भगवान सूर्य से मनोकामना पूर्ण करने की प्रार्थना करें।
आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ कितनी बार करना चाहिए:
आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ प्रतिदिन सुबह नियमित रूप से करने से अधिक लाभ प्राप्त होते हैं। यदि आप समय की कमी से परे हैं, तो आप सप्ताह में कम से कम तीन बार इस स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं।
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आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने के लाभ:
- आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से मनुष्य को सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है।
- इस स्तोत्र के पाठ से शत्रुओं पर विजय प्राप्ति होती है।
- मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।
- रोगों से मुक्ति मिलती है।
- धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
- आयु की वृद्धि होती है।
आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से मनुष्य के जीवन में अनेक सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। यह स्तोत्र मनुष्य को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति दिलाने में सक्षम है।
आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ:
श्लोक 1
ततो युद्धपरिश्रान्तं समरे चिन्तया स्थितम् । रावणं चाग्रतो दृष्ट्वा युद्धाय समुपस्थितम् ॥
अर्थ:
तब युद्ध में थके हुए और चिंता में डूबे हुए श्री राम को रावण सामने खड़ा दिखाई दिया, जो युद्ध के लिए तैयार था।
श्लोक 2
दैवतैश्च समागम्य द्रष्टुमभ्यागतो रणम् । उपगम्याब्रवीद् राममगरत्यो भगवांस्तदा ॥
अर्थ:
तब देवतागण श्री राम से मिलने के लिए युद्धक्षेत्र में आए। उनका स्वागत करते हुए अगस्त्य ऋषि ने कहा,
श्लोक 3
राम राम महाबाहो श्रृणु गुह्यं सनातनम् । येन सर्वानरीन् वत्स समरे विजयिष्यसे ॥
अर्थ:
हे राम! हे महाबाहो! सुनो, यह गुप्त और सनातन स्तोत्र है, जिससे तुम युद्ध में सभी शत्रुओं पर विजय प्राप्त करोगे।
श्लोक 4
आदित्यहृदयं पुण्यं सर्वशत्रुविनाशनम् । जयावहं जपं नित्यमक्षयं परमं शिवम् ॥
अर्थ:
आदित्यहृदय स्तोत्र बहुत ही पवित्र है और यह सभी शत्रुओं का नाश करता है। इसका नित्य जप करने से अक्षय और परम शिव फल प्राप्त होता है।
श्लोक 5
सर्वमंगलमांगल्यं सर्वपापप्रणाशनम् । चिन्ताशोकप्रशमनमायुर्वधैनमुत्तमम् ॥
अर्थ:
यह स्तोत्र सभी प्रकार के मंगलों को प्रदान करता है और सभी पापों का नाश करता है। यह चिंता और शोक को दूर करता है और आयु को बढ़ाता है।
Aditya Hridaya Stotra PDF
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