Bhagwat Geeta PDF In Hindi | श्रीमद्भगवद्गीता [PDF Free]

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भगवत गीता हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो भगवान कृष्ण और अर्जुन के बीच महाभारत के युद्ध के दौरान हुआ था। यह गीता 700 श्लोकों की एक महत्वपूर्ण रचना है जिसमें जीवन के विभिन्न पहलुओं का उपदेश दिया गया है और धर्म के सिद्धांतों की व्याख्या की गई है। गीता के श्लोक मनुष्य को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने का मार्ग दिखाते हैं और अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए प्रेरित करते हैं। इसके माध्यम से, अर्जुन को अपने युद्ध में भाग लेने और धर्म, कर्म, भक्ति और ज्ञान के विभिन्न पहलुओं पर चिंतन करने के लिए प्रेरित किया जाता है।

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Bhagwat Geeta PDF In Hindi

नामBhagwat Geeta PDF In Hindi
भाषाहिंदी
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टोटल पेज256
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यहां भगवत गीता की मुख्य अवधारणाओं का संक्षेप में उल्लेख किया जा रहा है

अर्जुन का आत्मविश्वास: गीता की शुरुआत अर्जुन के कम आत्मविश्वास से होती है, जिसे भगवान कृष्ण उसके आत्मविश्वास का पुनर्निर्माण करके ठीक करते हैं।

कर्मयोग: गीता में कर्मयोग का उपदेश दिया गया है, जिसके अनुसार कोई भी कार्य करते समय फल की चिंता नहीं करनी चाहिए।

भक्तियोग: भागवत गीता में भक्तियोग का महत्व बताया गया है, जिसके अनुसार दिव्य आत्मा परमात्मा के साथ एकता प्राप्त करती है।

ज्ञान योग: गीता में ज्ञान योग का भी उल्लेख है, जो आत्मा के वास्तविक स्वरूप को जानने और ईश्वर के साथ एकता प्राप्त करने में ज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका बताता है।

यह संक्षिप्त जानकारी है, और भगवत गीता के अन्य महत्वपूर्ण विषयों का भी गहराई से अध्ययन करना बेहद जरूरी है। गीता का पाठ ध्यानपूर्वक इसलिए किया जाता है ताकि व्यक्ति अपने जीवन में सही रास्ते पर चल सके।

श्रीमद्भगवद्गीता में कुछ महत्वपूर्ण श्लोक हैं, जो हिंदी में इस प्रकार हैं

अर्जुन विषाद योग (अध्याय 1, श्लोक 1)

धृतराष्ट्र उवाच
धर्मक्षेत्रे कुरूक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः।
मामकः पाण्डवश्चैव किमकुर्वत संजय ||

अर्थ: धृतराष्ट्र ने कहा: कुरुक्षेत्र में धर्म क्षेत्र में युद्धकाण्ड का आयोजन हो रहा है। मेरे और पाण्डु पुत्रों के बीच में क्या हो रहा है, सञ्जय, तुम बताओ।

कर्मयोग (अध्याय 2, श्लोक 47)

योयकर्मण्यतम कर्म यस्तं विद्याकरणम् |
स भुग्ज्ञानमनुष्येषु स युक्तः कृतसंकर्मकृत ||

अर्थ: वह कर्म जो किया जाए बिना किसी आकरण के, वह सब कर्मों के में योग्य माना जाता है। ऐसे कर्म में लगे व्यक्ति को बुद्धिमान माना जाता है, क्योंकि वह सब कर्मों को सही तरीके से करता है।

भक्तियोग (अध्याय 9, श्लोक 22)

अनन्याष्टयन्तो मा ये जनाः पर्युपासते |
तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम् ||

अर्थ: वे लोग जो मुझे अनन्य भाव से सोचते हैं और मेरे पास समर्पित होते हैं, उनकी हमेशा योगक्षेम की चिंता करता हूँ।

ज्ञान योग (अध्याय 4, श्लोक 7)

यदा यदा धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत |
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मनां सृजाम्यहम् ||

अर्थ: हे भारत! जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब मैं अपने आप को प्रकट करता हूँ।

कर्मसंन्यास (अध्याय 18, श्लोक 66)

सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज |
अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः ||

अर्थ: सभी धर्मों को त्यागकर सिर्फ मुझमें शरण लो, मैं तुम्हें सभी पापों से मुक्त कर दूंगा, चिंता न करो।

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भगवद गीता में कई अन्य महत्वपूर्ण श्लोक हैं जिन पर जीवन के विभिन्न पहलुओं पर विचार करना महत्वपूर्ण है। इन श्लोकों को पढ़कर और उनका अर्थ समझकर आप भगवत गीता के संदेश को समझ सकते हैं।

Conclusion 

हमारे ब्लॉग को Bhagwat Geeta PDF In Hindi | श्रीमद्भगवद्गीता [PDF Free] पढ़ने के लिए समय निकालने के लिए धन्यवाद। हमें आशा है कि आपको यह [Bhagwat Geeta PDF In Hindi | श्रीमद्भगवद्गीता [PDF Free] जानकारीपूर्ण और मूल्यवान लगा होगा। यदि आपके कोई प्रश्न, टिप्पणियाँ हैं, या आप इस विषय पर गहराई से विचार करना चाहते हैं, तो कृपया संकोच न करें। उल्लेख करें कि पाठक आपसे कैसे संपर्क कर सकते हैं या आपकी अधिक सामग्री का पता लगा सकते हैं।

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